बहनों ने भैया दूज की पूजा कर भाइयों के लंबी उम्र की किया कामना
सनशाइन समय बस्ती से मनीष मिश्र की रिपोर्ट
बस्ती। पुरानी बस्ती के राजा मैदान स्थित कंचन प्रिंटिंग प्रेस पर भैया दूज की सामूहिक पूजा हुई। जिसमें बहनों ने भाइयों के लंबी उम्र की कामना किया। बहनों ने भैया दूज की कहानी सुनी और पारंपरिक तरीके से पूजन अर्चन किया।
कंचन कसौधन ने बताया कि भाई दूज का त्योहार कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है। यह भाई बहन के प्रेम का प्रतीक है। इस दिन भाई बहन को साथ-साथ यमुना स्नान करना, तिलक लगवाना तथा बहन के घर भोजन करना अति फलदायी होता है। इस दिन बहन-भाई की पूजा कर उसके दीर्घायु तथा अपने सुहाग की कामना कर हाथ जोड़कर यमराज से प्रार्थना करती है। इसी दिन युमना जी ने अपने भाई यमराज को भोजन कराया था। इसलिए इसे यम द्वितीया भी कहते हैं। इस दिन श्रद्धा भाव से, स्वर्ण वस्त्र, मुद्रा आदि बहन को देना चाहिए।
सूर्य भगवान की पत्नी का नाम संज्ञादेवी था, इनकी दो संतानें, पुत्र यमराज था कन्या यमुना थी। संज्ञा रानी पति सूर्य की उद्दीप्त किरणों को न सह सकने के कारण उत्तरी ध्रुव प्रदेश में छाया बनकर रहने लगी। उसी छाया से ताप्ती नदी तथा शनिश्चर का जन्म हुआ। इसी छाया से अश्विनी कुमारों का भी जन्म बताया जाता है जो देवताओं के वैद्य (भेषज) माने जाते हैं। इधर छाया का यम तथा यमुना से व्यवहार खराब होने लगा। इससे खिन्न होकर यम ने अपनी एक नई नगरी यमपुरी बसाई, यमपुरी में पापियों को दण्ड देने का काम संपादित करते भाई को देखकर यमुनाजी गौ लोक चली आई तो उन्होंने दूतों को भेजकर यमुना को बहुत खोजवाया, मगर मिल न सकीं। फिर स्वयं ही गोलोक गए जहां विश्राम घाट पर यमुनाजी से भेंट हुई। भाई को देखते ही यमुना ने हर्ष विभोर हो स्वागत सत्कार के साथ भोजन करवाया।
इससे प्रसन्न हो यम ने वर मांगने को कहा। यमुना ने कहा- ‘हे भैया! मैं आपसे यह वरदान मांगना चाहती हूं कि मेरे जल में स्नान करने वाले नर-नारी यमपुरी न जाएं? प्रश्न बड़ा कठिन था यम के ऐसा वर देने से यमपुरी का अस्तित्व ही समाप्त जाता अतः भाई को असमंजस में देखकर यमुना बोली- आप चिन्ता न करें मुझे यह वरदान दें कि जो लोग आज के दिन बहन के यहां भोजन करके, इस मथुरा नगरी स्थित विश्राम घाट पर स्नान करें वह तुम्हारे लोक न जाएं।’ इसे यमराज ने स्वीकार कर लिया इस तिथि को जो सज्जन बहन के घर भोजन नहीं करेंगे उन्हें मैं बांधकर यमपुरी को ले जाऊंगा और तुम्हारे जल में स्नान करने वालों को स्वर्ग प्राप्त होगा। तभी से भाई-बहन के रिश्ते का यह त्योहार मनाया जाने लगा।