हस्तशिल्प कला को रोजगार से जोड़ते हुए जिला कारागार में महिला बंदियों को दिया जा रहा प्रशिक्षण
– डीएम व एसपी ने राखियों का निर्माण कर रही महिला कैदियों का बढ़ाया हौंसला
सनशाइन समय बस्ती से मनीष मिश्र की रिपोर्ट
बस्ती। आजादी के अमृत महोत्सव के तहत पारंपरिक हस्तशिल्प कला को रोजगार से जोड़ते हुए जिला कारागार में महिला बंदियों को क्रोशिए से राखियाँ बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। बृहस्पतिवार को जिला कारागार में पहुंच कर जिलाधिकारी प्रियंका निरंजन व पुलिस अधीक्षक गोपाल कृष्ण चौधरी ने राखियों का निर्माण कर रही महिला कैदियों की न सिर्फ हौंसला आफजाई किया, बल्कि तिरंगी व अन्य आकर्षक राखियों की उनसे खरीदारी भी की। महिला कैदियों सुनीता व रजनी ने जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक की आरती उतार कर स्वागत किया। इस अवसर पर उन्होने दोनों अधिकारियों को राखी बांधी। इसके लिए उन्हें नगद बंधवाई भी मिली। जिलाधिकारी ने महिला बंदियों को हुनरमंद बना रहे बेसिक शिक्षा विभाग में तैनात कला एवं शिल्प शिक्षक आलोक शुक्ल को पारंपरिक एवं पर्यावरण के अनुकूल विभिन्न हस्तशिल्प विधाओं के नवीन प्रयोग के लिए सराहना किया।
जिलाधिकारी ने कहा कि पारंपरिक शिल्पकला को रोजगार से जोड़ने का यह अभिनव प्रयोग जिला कारागार में किया जा रहा है, बंदी महिलाओं द्वारा क्रोशिए से तैयार राखियों को कल कलेक्ट्रेट परिसर में स्टॉल लगवाकर आम जनता की खरीदारी के लिए उपलब्ध कराया जायेगा और लाभ की राशि उनके खाते में जमा करवा दी जायेगी।
प्रशिक्षक आलोक शुक्ल ने बताया कि इसके पूर्व दीपावली के समय बंदियों को कागज की लुग्दी से लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां बनाने की विधा को सिखाया था, वर्तमान में रक्षाबंधन का त्यौहार नजदीक है, इसी के मद्देनजर कम लागत में मजबूत व पर्यावरण के अनुकूल उत्पाद बनाने के लिए क्रोशिए व सूत के प्रयोग से राखियाँ बनाना महिला बंदियों को सिखा रहा हूँ।
इस अवसर पर कारागार अधीक्षक विवेकशील त्रिपाठी, प्रभारी कारापाल जयशंकर यादव, उपकारापाल बाबूराम यादव, प्रशिक्षक आलोक शुक्ल, महिला बैरक सुरक्षा प्रभारी वंदना त्रिपाठी, रोशनआरा, नैना सविता, पूजा यादव, सुमनलता, शिक्षिका शीला मौर्या सहित अन्य कर्मचारी व कैदी उपस्थित रहे।