कोल्ड स्टोर में छिपा था खतरनाक स्पेक्टिकल कोबरा, सर्पमित्र ने किया रेस्क्यू

डॉ आशीष के प्रयासों से जनपद की जनता हो गई है सर्पदंश से भय मुक्त
डायल 112 व वन विभाग के साथ समन्वय बनाकर डॉ आशीष लगातार कर रहे है सर्पों का सुरक्षित रेस्क्यू
इटावा। वैद्यपुरा थाना क्षेत्र के अंतर्गत स्थित ग्राम रायपुरा में एक खतरनाक स्पेक्टिक्ल कोबरा सर्प राधावल्लभ कोल्ड स्टोर के कंट्रोल एरिया में रखी मशीन के नीचे छुप कर बैठ गया था तभी वहां कार्यरत कर्मचारियों ने मदद के लिए डायल 112 से को बुलाया जिसके बाद मौके पर तत्काल थाना जसवंतनगर क्षेत्र में तैनात पीआरवी 1622 से हेड कांस्टेबल तेज सिंह यादव, कांस्टेबल राजेंद्र कुमार, एवम चालक श्री प्रताप मौके पर पहुंचे और तत्पश्चात उन्होंने उस कोबरा के सुरक्षित रेस्क्यू के लिए जनपद के वन्यजीव एवम सर्प विशेषज्ञ सर्पमित्र डॉ आशीष त्रिपाठी को सूचना दी। डॉ आशीष ने भी मौके पर जाकर 5 मिनट में ही उस खतरनाक स्पेक्टिकल कोबरा सर्प को सुरक्षित रेस्क्यू कर पूरे कोल्ड स्टोर के कर्मचारियों को पूर्ण भय मुक्त कर दिया। कॉलर डॉ प्रशांत यादव ने बताया कि,सभी हमारे कर्मचारी काफी देर से परेशान और डरे हुए थे लेकिन अब डॉ आशीष के द्वारा कोबरा सर्प को रेस्क्यू करने के बाद अब हमारा भय खत्म हो चुका है। मिशन स्नेक बाइट डेथ फ्री इंडिया के यूपी कोर्डिनेटर वन्यजीव,सर्प विशेषज्ञ डॉ आशीष त्रिपाठी ने बताया कि यह एक लगभग 5 फीट लम्बा मेल स्पेक्टिकल कोबरा था जिसमे खतरनाक न्यूरोटॉक्सिक वेनम मौजूद होता है जिसका इलाज सिर्फ एंटीवेनम से ही संभव है जो कि जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में कमरा नम्बर 3 में मौजूद है। कोबरा सर्प को रेस्क्यू करने के बाद उसे सुरक्षित तरीके से उसके प्राकृत वास में ले जाकर छोड़ दिया गया। विदित हो कि,जनपद में सर्पमित्र डॉ आशीष त्रिपाठी जनता की बहुमूल्य जान बचाने के साथ साथ अब तक हजारों वन्यजीवों को भी जीवन दान दे चुके है। अब जनपद इटावा की जनता सर्पदंश से लगभग भयमुक्त हो चुकी है साथ ही जनपद में संस्था ओशन के द्वारा चलाए जा रहे सर्पदंश जागरूकता अभियान से प्रेरित और जागरूक होकर लोगो ने वन्यजीवों को मारना ही छोड़ दिया है और सीधे डॉ आशीष त्रिपाठी को उनके हेल्पलाइन नम्बर 7017204213 पर सूचना देने लगे है। जनपद में डॉ आशीष के द्वारा चलाए जा रहे सर्पदंश जागरूकता अभियान से ग्रामीण जनता में एक बहुत ही बड़ा बदलाव आया है कि,जनता सर्पदंश के बाद कोई भी झाड़ फूंक न करवाकर सीधे ही समय से जिला अस्पताल जाकर इलाज कराने लगी है।

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