लखनऊ में पहली बार हुई इस तरह की जटिल सर्जरी

लखनऊ में पहली बार हुई इस तरह की जटिल सर्जर

सनशाइन समय
लखनऊ

लखनऊ के मेदांता अस्पताल में कार्डियोथोरेसिक और वैस्कुलर सर्जरी के डायरेक्टर डॉ. गौरांग मजूमदार के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने हाइपरट्रॉफिक ऑब्सट्रक्टिव कार्डियोमायोपैथी (एचसीओएम) नामक गंभीर दिल की बीमारी से पीड़ित एक युवा महिला की सफलतापूर्वक सर्जरी की है। यह सर्जरी लखनऊ में पहली बार हुई और राजधानी के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। इस सर्जरी ने समय पर इलाज कराने और क्षेत्र में उपलब्ध बेहतरीन विकल्प के विषय में जागरूक होने के महत्व पर भी प्रकाश डालती है।

एचओसीएम, जिसे पहले इडियोपैथिक हाइपरट्रॉफिक सबऑर्टिक स्टेनोसिस कहा जाता था, एक काफी सामान्य आनुवंशिक समस्या है। इसमें अचानक पड़ा दिल का दौरा मौत का कारण बन सकता है। यह मुख्य रूप से युवा लोगों और एथलीटों को प्रभावित करता है जो दिखने में तंदुरुस्त और फिट नजर आते हैं। ऐसी स्थिति हृदय की दीवार के एक हिस्से के मोटे होने के कारण उत्पन्न होती है, जो बाएं वेंट्रिकल को अवरुद्ध कर देती है। एचओसीएम सभी पुरुषों और महिलाओं को हो सकता है, लेकिन महिलाओं में इसके लक्षण अधिक नजर आते हैं और काम उम्र में इन लक्षणों का अनुभव होने लगता है। ऐसे में अपंगता जैसे लक्षणों के चलते शारीरिक बाधाएं उत्पन्न होती हैं और उनकी दिनचर्या सीमित होने लगती है।

एक 28 वर्षीया महिला मेदांता में डॉक्टरों के पास सांस लेने में परेशानी और बार बार बेहोश होने की शिकायत लेकर पहुंची। उसके दिल की धड़कनें भी काफी तेज थीं। उसकी जाँच करने के बाद, डॉक्टरों ने पाया कि उसे एक गंभीर दिल की बीमारी है, जिसे ऑब्सट्रक्टिव एचओसीएम कहा जाता है। डॉक्टरों ने यह भी पाया कि उसके दिल में एक ब्लॉकेज था जिसका एग्रेडिएंट 80 था। उसके दिल के एक वाल्व में भी समस्या थी जो रिसाव का कारण बन रही थी और साथ ही दिल की धड़कनें अनियमित थीं। उसकी हालत बहुत गंभीर थी, डॉक्टरों ने उसके इलाज के लिए जल्द से जल्द उसकी सर्जरी की सिफारिश की।

मेदांता के अनुभवी मेडिकल एक्सपर्ट्स की टीम ने मरीज के हृदय की बढ़ी हुई मांसपेशियों के इलाज के लिए एक जटिल विधि का इस्तेमाल किया, जिसे रिसेक्शन, प्लिकेशन और रिलीज (आरपीआर) कहा जाता है, साथ ही डॉक्टर्स ने विस्तारित मायोमेक्टोमी भी की। पूरी प्रक्रिया के हार्ट-लंग मशीन की मदद ली गई। आंतरिक रिसाव को रोकने के लिए माइट्रल वाल्व को भी रिपेयर किया गया।

डॉ. गौरांग मजूमदार, डायरेक्टर- कार्डियोथोरेसिक और वैस्कुलर सर्जरी ने कहा, “ऑपरेशन के बाद रोगी की रिकवरी आश्चर्यजनक थी, और उसे केवल एक सप्ताह में अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। एक महीने बाद जब वह चेक-अप के लिए आई, तो उसमें बीमारी के कोई लक्षण नहीं दिखे, और उसका दिल ठीक से काम कर रहा था। दिल में किसी प्रकार की कोई रुकावट या रिसाव नहीं था। यह एचओसीएम सर्जरी शहर में संभवत: पहली सफल सर्जरी है, जो दर्शाती है कि हम शीघ्रता से कार्रवाई करके और उपलब्ध उपचारों के बारे में लोगों को जागरूक करके कई लोगों की जान बचा सकते हैं।”

दिल की बीमारी हाइपरट्रॉफिक ऑब्सट्रक्टिव कार्डियोमायोपैथी, प्रत्येक 500 वयस्कों में लगभग 1 को प्रभावित करती है। अकेले यूनाइटेड स्टेट्स में, हर साल इस स्थिति से 100 से कम लोगों की मृत्यु होती हैं और एथलीटों के बीच, यह दर प्रत्येक 220,000 में लगभग 1 है। यदि इसका जल्दी पता चल जाए, सही निदान हो जाए, और ठीक से इलाज किया जाए, तो इस स्थिति वाले रोगियों को जल्दी स्वस्थ किया जा सकता है।

मेदांता अस्पताल लखनऊ की मेडिकल टीम, मेडिकल फील्ड में होने वाली प्रगति से अपने को अपडेट करती है और मरीजों को बेहतर से बेहतर चिकित्सा और देखभाल उपलब्ध कराने के लिए समर्पित हैं। इस सर्जरी का सफल होना एक बड़ी उपलब्धि है, जो एचओसीएम जैसी स्थिति से जूझ रहे
लोगों में उम्मीद जगाती है और दिखाती है कि हम एक अच्छी स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

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