बच्चों में बढ़ रहा डायरिया का प्रकोप, बचाव के करें ये उपाय
सनशाइन समय बस्ती से लक्ष्मी मिश्र की रिपोर्ट
बस्ती। तापमान में बढ़ोत्तरी और उमस भरी गर्मी के बीच लोग मौसमी बीमारी के चपेट में आने लगे हैं। गर्मी बढ़ने के साथ दस्त व डायरिया के मरीजों की संख्या में इजाफा दिखने लगा है। पिछले कुछ दिनों से अधिकतम तापमान 36 से 40 डिग्री रहने के कारण अधिकांश दस्त व डायरिया तथा बुखार के मरीज ही इलाज कराने पहुंच रहे हैं । जिन्हें अस्पताल में आवश्यक सूई व स्लाइन तथा दवा देकर उपचार के बाद घर भेज दिया जा रहा है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रुधौली के चिकित्सक डा. अजय पटेल ने बताया कि डायरिया बच्चों में फैलने वाला रोग है लेकिन इससे बड़े भी अछूते नहीं है। मौसम के अनुरूप सही खान पान का ध्यान न रखना इसका मुख्य कारण हो सकता है।
आहार और पानी के सेवन से होने वाली बीमारी टायफाइड, जौंडिस, डायरिया है। इन सब बीमारियों से आपके किडनी पर भी बुरा, डॉ. अजय पटेल तरल पदार्थ व बाहरी खाने से बच्चो को रखे दूर- डॉ. अजय पटेल गर्मी व बरसात के मौसम में सड़क किनारे खुले जूस या फास्ट फूड एवं दूषित प्रभाव पड़ सकता है।
डायरिया मुख्य रूप से क्रोनिक, एक्यूट, डिसेंट्री और डायरिया टाइप के होते है। डायरिया पेट के कीड़ों या बैक्टेरिया के संक्रमण, वायरल संक्रमण कारण आसपास गन्दगी के कारण, शरीर में इलेक्ट्रोलाइट असंतुलित होने, किसी दवाई के रिएक्शन, पाचन शक्ति कमजोर होने, फास्ट फूड एवं बाहरी तरल पदार्थ खाने आदि कारणों से हो सकता है। आमतौर पर डायरिया चार से सात दिन लेता है लेकिन इससे ज्यादा दिन रहने पर यह क्रानिक डायरिया कहलाता है। इसे जरा सी भी सावधानी बरत कर ठीक भी किया जा सकता है। जल्दी-जल्दी उल्टी आना पेट मरोड़ कर दर्द करना बुखार आना कमजोरी महसूस करना चक्कर आना बीपी कम होना आदि रिया के लक्षण हो सकते हैं। डायरिया के रोगी को केले चावल मूंग दाल की खिचड़ी से राहत मिलती है केले और चावल हाथ की गति को नियंत्रित करने का और दस्त को बढ़ने में सहायता करते हैं। खीरा ककड़ी खरबूजा जैसे फल व सब्जी जिससे पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व मौजूद हो खाना चाहिए। लेकिन फिर भी डायरिया होने पर तत्काल नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर डक्टर का परामर्श अवश्य लेना चाहिए। डायरिया को बच्चों की मौत की बड़ी वजह मानी जाती है विश्व में लगभग सात लाख साठ हजार बच्चे डायरिया से मरते हैं लेकिन सही समय पर इलाज से इसे रोका जा सकता है। भारत सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा इसका इलाज के लिए प्राथमिक और सामुदायिक एवं जिला अस्पताल के मेडिकल कलेज में तैनात डक्टर को प्रशिक्षित किया गया है।