सरकार ने तोफा नही तदर्थ शिक्षकों के डेथ वारंट पर साइन किया है – संजय द्विवेदी
– तदर्थ शिक्षकों के 17 माह से बकाया वेतन भुगतान का आदेश स्वागत योग्य किंतु सेवाएँ समाप्त करना अनुचित
सनशाइन समय बस्ती से मनीष मिश्र की रिपोर्ट
बस्ती। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश संयोजक संजय द्विवेदी ने कहा है कि उत्तर प्रदेश तदर्थ शिक्षकों को बकाया वेतन तो दे दी, किंतु उनके डेथ वारंट पर हस्ताक्षर करके सेवाएं समाप्त कर दी है, जो अनुचित है। सरकार के इस आदेश से प्रदेश के सैकड़ों शिक्षकों की नौकरी समाप्त हो जायेगी। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ इस आत्मघाती निर्णय का पुरजोर विरोध करेगा।
सरकार द्वारा जारी आदेश में कहा है कि प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत तदर्थ शिक्षकों के सम्बन्ध में मा० सर्वोच्च न्यायालय में योजित विषयगत सिविल अपील संख्या 8300 – 2016 संजय सिंह व अन्य बनाम उ०प्र० राज्य व अन्य एवं इससे सम्बन्धित मिसलेनियस अप्लीकेशन संख्या-818 – 2021 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश दिनांक 26.08.2020 एवं 07.12.2021 के अनुपालन में चयन बोर्ड के विज्ञापन वर्ष 2021 के सापेक्ष सामान्य अभ्यर्थियों के साथ ही तदर्थ अध्यापकों से भी आवेदन पत्र आमंत्रित करते हुए तदर्थ अध्यापकों को भारांक प्रदान करते हुए परीक्षा में प्राप्त किये गये अंको के योग के आधार पर चयन की कार्यवाही पूर्ण करते हुए चयन प्रक्रिया में सफल तदर्थ शिक्षकों को नियमित व स्थायी शिक्षक के पद पर आवंटित संस्थाओं में कार्यभार ग्रहण करा दिया गया है। शेष तदर्थ शिक्षक न तो विनियमितीकरण के हकदार है एवं न ही राजकोष से वेतन पाने के अधिकारी है।
आदेश में कहा गया है कि इस प्रकार के तदर्थ शिक्षकों की नियुक्ति तत्समय प्राविधानित विभागीय नियमों व विनियमों के विपरीत की गयी है। विषयगत सिविल अपील में पारित आदेश दिनांक 26.08.2020 में भी मा० सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तदर्थवाद को समाप्त किये जाने पर बल दिया गया है। अतः विषयगत सिविल अपील संख्या 8300 – 2016 संजय सिंह व अन्य बनाम उ०प्र० राज्य व अन्य एवं इससे सम्बन्धित मिसलेनियस अप्लीकेशन संख्या-818 – 2021 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश दिनांक 26.08.2020 एवं 07.12.2021 के आलोक एवं उपर्युक्त वर्णित स्थिति एवं तथ्यों के आधार पर मुझे निम्नवत् कहने का निदेश हुआ है।
जिसके अनुसार अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत ऐसे तदर्थ शिक्षक, जिनकी नियुक्ति सीधी भर्ती द्वारा अल्पकालिक रिक्ति के सापेक्ष प्रवक्ता श्रेणी या प्रशिक्षित स्नातक श्रेणी में 07 अगस्त, 1993 को या उसके पश्चात किन्तु 25 जनवरी, 1999 के पश्चात नहीं, समय-समय पर यथासंशोधित उ0प्र0 माध्यमिक शिक्षा सेवा आयोग (कठिनाईयों को दूर करना) (द्वितीय) आदेश, 1981 के पैरा-2 के अन्तर्गत अनियमित रूप से की गयी है और उनका विनियमितीकरण नहीं किया गया है, की तदर्थ सवायें समाप्त किये जाने का निर्णय लिया जाता है।अथवा मौलिक रिक्ति के सापेक्ष प्रवक्ता श्रेणी या प्रशिक्षित स्नातक श्रेणी में सीधी भर्ती द्वारा 07 अगस्त, 1993 को या उसके पश्चात किन्तु 30 दिसम्बर, 2000 के पश्चात नहीं, धारा-18 के अन्तर्गत अनियमित रूप से की गयी है और उनका विनियमितीकरण नहीं किया गया है की तदर्थ सदायें समाप्त किये जाने का निर्णय लिया जाता है,अथवा 30 दिसम्बर, 2000 के पश्चात इण्टरमीडिएट शिक्षा अधिनियम, 1921 की धारा-16 (ई)-11 के अन्तर्गत की गयी है की तदर्थ सेवायें समाप्त किये जाने का निर्णय लिया जाता है।
आदेश के अनुसार उक्त तदर्थ शिक्षकों में से वैसे तदर्थ शिक्षक जिनका वेतन भुगतान सर्वोच्च न्यायालय, नई दिल्ली में योजित सिविल अपील संख्या-8300 – 2016 संजय सिंह व अन्य बनाम उ०प्र० राज्य व अन्य में पारित आदेश दिनांक 26.08.2020 तक होता रहा है एवं उक्त आदेश दिनांक 26.08.2020 के कारण प्रभावित अथवा अवरुद्ध हुआ है. के अवशेष वेतन का भुगतान शासनादेश निर्गत होने की तिथि तक किये जाने की स्वीकृति एतद्द्वारा इस शर्त के अधीन प्रदान की जाती है कि उक्त तिथि तक उनके द्वारा की गयी तदर्थ सेवायें सभी तथ्यों से प्रमाणित व सत्यापित हों।
आदेश में कहा है कि उपर्युक्त परिधि में आने वाले वैसे तदर्थ शिक्षक, जिनकी कालान्तर में शिक्षण कार्य किये जाने व सेवावधि के दौरान आकस्मिक मृत्यु हो गयी हो, उनके वैध उत्तराधिकारी व नॉमिनी को मृत शिक्षक के शिक्षण कार्य किये जाने की अवधि तक के अवशेष वेतन का भुगतान विधिवत् सत्यापनोपरान्त किये जाने की स्वीकृति प्रदान की जाती है। नियमानुसार प्रकियात्मक कार्यवाही सम्पन्न कर अवशेष वेतन के भुगतान की कार्यवाही शासनादेश निर्गत होने की तिथि से 30 दिवस के अन्तर्गत पूर्ण कर ली जायेगी। यदि उक्त अवधि के अन्तर्गत अवशेष देयक का भुगतान सुनिश्चित नहीं किया जाता है तो सम्बन्धित का उत्तरदायित्व निर्धारित कर उसके विरूद्ध नियमानुसार विभागीय कार्यवाही की जायेगी।
आदेश में कहा गया है कि अवशेष वेतन भुगतान करते समय आगणित धनराशि की शुद्धता की जॉच व परीक्षण कर लिया जायेगा । भुगतान करने से पूर्व यह भी सुनिश्चित कर लिया जाय कि प्रश्नगत शिक्षक द्वारा उक्त अवधि में शिक्षण कार्य किया गया हो और उक्त अवधि का वेतन भुगतान उसे नहीं किया गया हो। प्रश्नगत अवशेष वेतन का भुगतान नियमित वेतन की भाँति साख- सीमा से किया जाना सुनिश्चित किया जाय ।